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बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर, बड़े होने की राह में मेरा बचपन हुआ मज़बूर| कभी टूटता हूँ मैं, कभी उठता हूँ मैं, कभी कभी खुद से ही रूठता हूँ मैं| सोचता हूँ, सच में अपने पैरों पर क्या मैं खड़ा हो... Show more
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