यूं तो हमने कई दफा तुम्हे सताया था,
इशारों इशारों में कई दफा बताया था,
नासमझ बन कर तुमने नजरें भी तब झुकाई थी,
जब बातों बातों में हमने नजरें मिलाई थी,
ऐसे तो खामोश दोनो ही थे क्योंकि,
तुम्हारे दिल के साथ मेरी भी आंखें भर आई थी.....
~अभिलाषा🌼
हो कोई शाम बीती रात तुम,
कुछ अनकही मन की बात तुम,
सावन की हसीन बरसात तुम,
धरा से नभ की मुलाकात तुम,
उफ्फ, हम तो भीग चुके हैंउन बूंदों तले,
हो जिनकी ओस लिए
गुलाब की नवजात ...
क्यों संभाल रखी थी वो माला मैंने,
जिसे आखिर में टूटना ही था,
क्यों थामी थी वो डोर मैंने,
जिसे आखिर में छूटना ही था,
आखिर क्यों.. क्यों उसे मनाया मैने,
जिसे आखिर में रूठना ही था.....
~ अभिलाषा🌼
यूंही बात करते करते बच्चों सा रूठ जाना मेरा,
यूंही हस्ते हस्ते शीशे सा टूट जाना मेरा,
तेरे महज़ साथ को हर दफा याद करना,
नहीं सोचा जाता तेरे साथ से छूठ जाना मेरा.......
- अभिलाषा🌼
देर हुई मुलाकात में पर दिल को तू सच्चा लगने लगा है....
इस बारी डर थोड़ा कम और ज्यादा अच्छा लगने लगा है....
मुस्कुरा लिया करती हूं यूंही अब बेवजह,
क्योंकि आहिस्ता आहिस्ता तुम्हे खोने का डर कच्चा लगने लगा है....
- अभिलाषा🌼